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गुरुवार, 30 अगस्त 2018

अगस्त 30, 2018

History Of India in Hindi

History of india in Hindi related to general knowledge

History of india in hindi
History of india in hindi


History of India in Hindi के जरुरी टॉपिक लिखे है जो लगभग  कॉम्पिटिशन मे पूछे जाते है इस पोस्ट मे मैंने आपको बहुत ही आसान भाषा मे समझाया है धन्यवाद 

              History of India in Hindi


#भारतीय इतिहास जानने के तीन महत्वपूर्ण स्त्रोत है

A. पुरातात्विक स्त्रोत 

B. साहित्यिक स्त्रोत

 C.विदेशी यात्रियों के विवरण

* पुरातात्विक स्त्रोत प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए पुरातात्विक स्त्रोत सर्वाधिक प्रमाणिक है इन में मुख्यतः खुदाई में निकली सामग्री अभिलेख सिक्के स्मारक ताम्रपत्र भवन मूर्तियां चित्रकारी आदि आते हैं

* भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की स्थापना अलेक्जेंडर कनिंघम के नेतृत्व में 18 से 61 ईसवी में की गई 1902 में जॉन मार्शल के द्वारा इसका पुनर्गठन हुआ

 *अभिलेख अभिलेखों के अध्ययन को पुरालेख शास्त्र कहते हैं

* भारत में अधिकतर अभिलेख शिलाओं स्तंभों गुहाओं दीवारों प्रतिमाओं  एवं सिक्कों पर खुदे हुए मिले  सबसे प्राचीन अभिलेख मध्य एशिया के  बोगजकोई नामक स्थान से 1460 पूर्व का   है

 *भारत में सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक के माने जाते हैं जो तीसरी शताब्दी ईसापूर्व की है कुछ विद्वानों ने उत्तर प्रदेश में प्राप्त कलश लेख और अजमेर में प्राप्त बदली अभिलेख को अशोक से भी पहले का बताया है चंद्रगुप्त मौर्य के सोहगौरा वह महास्थान अभिलेख भी अशोक से पहले की है किंतु अभिलेखों के नियमित परंपरा अशोक के समय से ही शुरु हुई

* अशोक के अभिलेखों का विस्तृत विवरण मौर्य काल की इकाई में दिया गया है

 *प्रारंभिक अभिलेख प्राकृत भाषा में है प्रथम संस्कृत अभिलेख रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख है यह संस्कृत भाषा में सबसे बड़ा अभिलेख है यह दूसरी सदी ईस्वी का है

 *सबसे पुरानी अभिलेख हड़प्पा की मुहरों पर मिलते हैं किंतु मैंने अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है

* गुप्तोत्तर काल के अधिकांश अभिलेख संस्कृत में लिखे गए हैं

 *राजा मिनांडर के अभिलेख खरोष्ठी लिपि प्राकृत भाषा में है

 *बेस नगर से यूनानी राजदूत हेलियोडोरस का गरुड़ध्वज स्तंभ लेख प्राप्त हुआ है इस अभिलेख से द्वितीय शताब्दी ईसापूर्व में भारत में भागवत धर्म के विकास की जानकारी मिलती है इसमें ब्राह्मी लिपि पर प्राकृत भाषा का प्रयोग किया गया है

* भारत में सबसे अधिक अभिलेख कर्नाटक में मिले हैं

* अशोक के अधिकतर अभिलेख ब्राह्मी लिपि में केवल  पश्चिमोत्तर में शाहबाज गढ़ी वह मानसेहरा अभिलेख खरोष्ठी लिपि में है तक्षशिला  ब्राह्मी लिपि में है

 *अशोक के अभिलेख की  सर्वप्रथम खोज 1750 ईस्वी में टीफेन्थैलर ने की

# सिक्के:-

* सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशास्त्र कहते हैं

1. चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में ही सड़कों के निर्माण पर राजकीय नियंत्रण कायम हुआ इससे पूर्व सिक्कों के निर्माण पर राजकीय नियंत्रण नहीं था मौर्य काल से पूर्व से के मुख्यतः व्यापारिक संगठनों श्रेणी निगम आदि द्वारा बनाए जाते थे वैशाली से श्रेणियों द्वारा निर्मित पंच मार्क सिक्के मिले हैं कोटिल्य के अर्थशास्त्र में टकसाल का उल्लेख हुआ है मौर्य काल में मुद्रा वर्क साल का अध्यक्ष लक्षण अध्यक्ष कहलाता था जबकि रूप दर्शन नामक अधिकारी मुद्रा का परीक्षण करता था

 2.  सर्वाधिक आहत सिक्के मौर्यकालीन है प्रारंभ से लेकर मौर्यकाल तक सर्वाधिक आहत सिक्के पूर्वी उत्तर प्रदेश में बिहार से मिले हैं

 3. यूनानी प्रभाव के कारण भारत में लेखा वाले सिक्के का प्रचलन हुआ

4.  भारत में सर्वप्रथम लेख युक्त सोने के सिक्के इंडो ग्रीक शासकों ने जारी किए भारत पर किसानों ने सोने के सिक्के चलाए व भारत में सर्वाधिक स्वर्ण मुद्राएं गुप्त शासकों ने चलाई कुषाण शासको में विम कडफिसेस ने सर्वप्रथम विश्व के सिक्के चलाए

 5. सर्वाधिक सिक्के मौर्योत्तर काल के मिलते हैं  

 6. इंडो ग्रीक शासकों ने भारत में पहली बार सिक्कों पर शासकों के नाम देवी-देवताओं की आकृतियों और लेख वाले सिक्के खिलाने की प्रथा शुरू की

7.  समुद्रगुप्त के सिक्कों पर उसे वीणा बजाते दिखाया गया है जिससे उसका संगीत प्रेम प्रकट होता है सातवाहन शासक यज्ञ श्री शातकर्णी के सिक्कों पर जलपोत उत्पन्न होने से उसका समुंदर प्रेम समंदर विजय का अनुमान लगाया जाता है

8.  चंद्रगुप्त द्वितीय ने गुप्त शासकों में सर्वप्रथम चांदी के सिक्के चलवाए

9.  गुप्त काल में सोने के सिक्कों को दिनार तथा चांदी के सिक्कों को रूप कहते थे

10.  पूर्व मध्यकाल में स्वर्ण सिक्कों के विलुप्त हो जाने के बाद गांगेयदेव कलचुरी ने उन्हें उत्तर भारत में पुनः प्रारंभ करवाया गांगेयदेव के सिक्कों पर लक्ष्मी की आकृति अंकित है

11.  जुगल गंभीर मुद्रा भांड की मुद्राओं से गौतमीपुत्र सातकर्णि द्वारा शक शासक नेहा पान को पराजित करने का साक्ष्य मिलता है

12.  प्राचीन काल में मूर्तियों का निर्माण कुषाण काल से प्रारंभ होता है कुषाणकालीन गंधार कला पर विदेशी प्रभाव है जबकि मथुरा कला स्वदेशी है

# साहित्यिक स्त्रोत  साहित्यिक स्त्रोत दो प्रकार के हैं

 1.धार्मिक साहित्य 

 A. लौकिक साहित्य धार्मिक साहित्य में ब्राह्मण साहित्य शामिल है ब्राह्मण साहित्य में वेद उपनिषद महाकाव्य पुराण स्मृति ग्रंथ आदि आते हैं

  B.  ब्राह्मण साहित्य में बौध्द जैन साहित्य की रचना शामिल है

 C. लौकिक साहित्य में ऐतिहासिक ग्रंथ जीवनियां साहित्यिक रचनाएं आदि शामिल है

 2. ब्राह्मण साहित्य

# वेद: वेदों की संख्या चार है ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद एवं अर्थवेद चारों वेदों का सम्मिलित रुप सहिंता कहलाता है श्रमण परंपरा में सुरक्षित होने के कारण वेदों की श्रुति भी कहा जाता है

 1. ऋग्वेद

  ऋग्वेद में कुल 10 मंडल व 1028 सूक्त है इनमें 1017 सूक्त में 11 बालखिल्य सूक्त है जो हस्तलिखित ह

  ऋग्वेद की रचना 1500 से 1000 ईसापूर्व मानी जाती है

 ऋग्वेद का पहला वह दसवां मंडल सबसे बाद में जोड़ा गया है

  ऋग्वेद के तीसरे मंडल में प्रसिद्ध देवी सूक्त है जिसमें सवित्र की उपासना गायत्री के रूप में की गई है यह गायत्री मंत्र है

 पृथ्वी सूक्त तथा गायत्री मंत्र ऋग्वेद में है

 आत्मा के आवागमन में निर्गुण ब्रह्मा का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद के नासदीय सूक्त में मिलता है जबकि उपनिषदों में आत्मा व ब्रह्मा के विशद व्याख्या की गई है

  ऋग्वेद का पाठ होत्रा नमक पुरोहित करते थे

 ऋग्वेद में ब्रह्मा का उल्लेख नहीं है

2.सामवेद

 साम का शाब्दिक अर्थ गान है इसके 75 शब्दों को छोड़कर शेष सभी ऋग्वेद से लिए गए हैं यह सूक्त गाने योग्य है सामवेद भारतीय संगीत शास्त्र  पर सबसे प्राचीनतम पुस्तक है इससे भारतीय संगीत का जनक माना जाता है

#. सामवेद के तीन पाठ है

A. गुजरात की kaoutam संहिता

B. कर्नाटक की जैमिनीय संहिता

 C.महाराष्ट्र की रामायणी संहिता

* सामवेद का प्रथम दृष्टया वेदव्यास के शिष्य जैमिनी को माना जाता है

* सामवेद में मुख्यतः सूर्य की स्तुति के मंत्र है सामवेद में सरस्वती नदी के प्रकट विलुप्त होने के विवरण है




3. यजुर्वेद

* यजुर्वेद गद्य और पद्य दोनों में लिखा गया है यह कर्मकांड प्रधान था इसमें यज्ञ संबंधी शब्दों का संग्रह है इसके दो भाग है शुक्ल यजुर्वेद एवं कृष्ण यजुर्वेद

* शुक्ल यजुर्वेद को वाजसनेई संहिता भी कहा जाता है क्योंकि वाच्य सेन के पुत्र याज्ञवल्क्य इसके दृष्टा थे

# यजुर्वेद 5 शाखाओं में विभाजित है

* ऋग्वेद सामवेद यजुर्वेद त्रयई ही कहा जाता है यजु का अर्थ यज्ञ होता है

* कृष्ण यजुर्वेद गद्य और पद्य दोनों में लिखा गया है जबकि शुक्ल यजुर्वेद में केवल मंत्र है शुक्ल यजुर्वेद को ही अधिकांश विद्वान असली यजुर्वेद मानते है




4. अर्थवेद

 इसकी रचना सबसे बाद में हुई इसे त्रई से बाहर रखा गया है अर्थवेद में जादू टोना तंत्र मंत्र संबंधी जानकारी है इसमें औषध विज्ञान तथा लौकिक जीवन के बारे में जानकारी है

 #अर्थववेद के 2 पाठ उपलब्ध है

* अर्थववेद में आर्य और अनार्य विचारों का समन्वय मिलता है

 *अर्थवेद में ब्रह्मा ज्ञान के विषय में जानकारी मिलती है इसका भाषण ब्रह्मा नामक पुरोहित करता था अतः इसे ब्रह्मा वेद भी कहा जाता था

* हड़प्पा नामक ऋषि इसके प्रथम दृष्टया थे अतः उन्हीं के नाम पर इसे अर्थवेद कहा जाता है इसके दूसरे दृष्टा अंगिरस ऋषि के नाम पर इससे  अर्थ वांगी भी कहा जाता है

 ब्राह्मण

 वेदों की सरल व्याख्या हेतु ब्राह्मण ग्रंथों की रचना गद्य में की गई ब्रम्हा का अर्थ यज्ञ है अतः यज्ञ के विषयों का प्रतिपादन करने वाले ग्रंथ ब्राह्मण कहलाए प्रत्येक वेद के अलग-अलग ब्राह्मण ग्रंथ है वेद स्तुति प्रधान है जबकि ब्राह्मण ग्रंथ विधि प्रदान है वैदिक भारत के इतिहास के साधन के रुप में वैदिक साहित्य में ऋग्वेद के बाद शतपथ ब्राह्मण का स्थान है

 ऐतरेय ब्राह्मण में राज्याभिषेक के नियम तथा कुछ राज्य अभिषेक किए गए राजाओं के नाम मिलते हैं

# आरण्यक

 *इनमें मंत्रों का गुण एवं रहस्यवादी अर्थ बताया गया है इनका पाठ एकांत एवं वन में ही संभव है जंगल में पढ़े जाने के कारण इन्हें आरण्य कहा गया है कुल 7 आरण्यक उपलब्ध है

# उपनिषद

 *उप का अर्थ समीप और निषाद का अर्थ है बैठना उपनिषद वह विद्या है जो गुरु के समीप बैठकर एकांत में से की जाती है उपनिषद मुख्यतः ज्ञानमार्गी रचनाएं 

* उपनिषदों   मैं परा विद्या का ज्ञान है इनमें आत्मा परमात्मा जन्म पुनर्जन्म मोक्ष इत्यादि विषयों पर चर्चा की गई है

* उपनिषदों की रचना मध्य काल तक चलती रही माना जाता है कि अल्लोपनिषद की रचना अकबर के काल में हुई

* शंकराचार्य ने 10 उपनिषदों पर टीका लिखी है

* उपनिषदों ब्रह्मा सूत्र तथा गीता को सम्मिलित रूप से प्रस्थानत्रई भी कहा जाता है

* भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते मुंडक उपनिषद से लिया गया है

#वेदांग

* वेदों के अर्थ को सरलता से समझने तथा वैदिक कर्मकांड ओके प्रतिपादन में सहायतार्थ वेदांग नामक साहित्य की रचना की गई वेदांग 6 है इन्हें गद्य में शुद्ध रूप में लिखा गया है इन 6 वेदांगों के नाम तथा क्रम का वर्णन सर्वप्रथम मुंडक उपनिषद में मिलता है

* शिक्षा-   वैदिक स्वरों की शुद्ध उच्चारण विधि हेतु शिक्षा का निर्माण हुआ वैदिक शिक्षा संबंधी प्राचीनतम साहित्य प्रतिशाख्य  है शिक्षा नामक वेदांग की रचना  वामज्य  ऋषि ने की

* कल्प-   इनमें कर्मकांड से संबंधित विधि नियमों का उल्लेख है सूत्र ग्रंथों को ही कल्प कहा  जाता है कल्प की रचना गौतम ऋषि ने की

* व्याकरण-   शब्दों की मीमांसा करने वाला शास्त्र व्याकरण कहा गया है जिसका संबंध भाषा संबंधी नियमों से है व्याकरण की सबसे प्रमुख रचना पांचवी शताब्दी ईसापूर्व कि पाणिनीकृत  अष्टाध्याई है जिसमें 8 अध्याय 400 सूत्र है इससे पूर्व चौथी शताब्दी में कात्यायन ने संस्कृत में प्रयुक्त होने वाले नए शब्दों की व्याख्या के लिए वार्तिक लिखें इससे पूर्व दूसरी शताब्दी में पतंजलि ने पाणिनी की अष्टाध्याई पर महाभाष्य लिखा

* निरुक्त-   यह भाषा विज्ञान है क्लिष्ट वैदिक शब्दों के संकलन  हेतु व्याख्या की यास्क नेपांचवी शताब्दी ईसापूर्व में निरुक्त की रचना की जो भाषा शास्त्र का प्रथम ग्रंथ माना जाता है इस में वैदिक शब्दों की व्युत्पत्ति का विवेचन है

* छंद-   वैदिक साहित्य में गायत्री क्षणिक आदि छंदों का प्रयोग हुआ है ऋग्वेद में सबसे अधिक प्रचलित  छंद त्रिष्टुप् है इसका 4253 बार प्रयोग हुआ है इसके बाद गायत्री छंद 2462 बार तथा जगती छंद 1358 बार प्रयोग हुआ है छंदशास्त्र पर  पिगलमुनि का ग्रंथ लिखा गया

 *ज्योतिष -  शुभ मुहूर्त में यज्ञ अनुष्ठान करने के लिए ग्रहों तथा नक्षत्रों का अध्ययन करके सही समय ज्ञात करने की विधि से ज्योतिष की उत्पत्ति हुई ज्योतिष की सबसे प्राचीन रचना   लगध  मुनि द्वारा रचित वेदांग ज्योतिष है

 *सूत्र -  वैदिक साहित्य को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए सूत्र साहित्य की रचना हुई

* कल्पसूत्र-   कल्पसूत्र में वित्तीय नियमों का प्रतिपादन किया गया यह तीन है

# श्रोत सूत्र  यज्ञ संबंधी नियम

 *गृह सूत्र-  गृहस्थ के लौकिक एवं पारलौकिक कर्तव्यों का विवरण

 *धर्मसूत्र-   धार्मिक एवं सामाजिक कर्तव्यों का उल्लेख चार वर्णों की स्थितियों कर्तव्य व विशेष अधिकारों का वर्णन धर्मसूत्र में है

* शुल्बसूत्र में यज्ञ विधि के निर्माण से संबंधित   नाप आदी का  तथा वेदों की निर्माण आदि के नियमों का वर्णन है शुल्व  का शाब्दिक अर्थ है नापना यह शुल्व   सूत्र वह स्रोत  सूत्र के ही भाग  है शुल्व  सूत्र से ही सर्वप्रथम भारतीय रेखागणित की शुरुआत होती है

 *सूत्र साहित्य में आठ प्रकार के विवाह का विवरण मिलता है

#महाकाव्य

 1.महाभारत

 *इसकी रचना वेदव्यास ने की थी इसमें 18 पर्व है पहले इसमें 8800 श्लोक थे तब इसका नाम जय सहिंता था 24000 श्लोक होने पर इसका नाम भारत हुआ गुप्त काल में एक लाख  श्लोक होने पर इसे महाभारत कहा जाने लगा

* महाभारत का सर्वप्रथम उल्लेख आश्वलायन गृह्यसूत्र में है

  *महाभारत को पंचम वेद भी कहा जाता है

* महाभारत का परिशिष्ट पर्व खिल पर्व हरिवंश नाम से जाना जाता है जिसमें कृष्ण वंश की कथा का वर्णन है

 *भगवत गीता महाभारत के छठ पर्व भीष्म पर्व का ही भाग है भगवत गीता को स्मृति प्रस्थान भी कहा जाता 

# महर्षि व्यास के 3 नाम है
 *कृष्ण द्वैपायन
 *बादरायण
* वेदव्यास

History of India in Hindi

 #रामायण 

*इसकी रचना महर्षि वाल्मीकि ने की इस में 24000 श्लोक है अतः इसे चतुर्विंशति साहस्री संहिता कहा जाता है इसकी रचना संभवता ईसा पूर्व पांचवी सदी में शुरू हुई

 *रामायण व महाभारत का अंतिम रुप में संकलन गुप्तकाल में 400 ईसवी के आसपास हुआ

 *  रामायण 7 कांडो में विभाजित है

  A.बालकांड

B. अयोध्या कांड

C. अरण्यकांड

 D.किष्किंधा कांड

 E.सुंदरकांड

 F.लंका कांड

G. उत्तरकांड

 *बालकांड उत्तरकांड के अधिकांश भागों को बाद में जोड़ा गया
#| बौद्ध साहित्य

* सबसे प्राचीन बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक है इनके नाम है सुत्तपिटक विनयपिटक में अभी हम अभी तक यह पाली भाषा में है

 *सुत्तपिटक : इसमें बुद्ध के धार्मिक विचारों को और वचनों का संग्रह है यह रिपीट को में सबसे बड़ा व श्रेष्ठ है इसे बौद्ध धर्म का इनसाइक्लोपीडिया भी कहा जाता है

 #सुत्तपिटक 5 निकायों में विभाजित है

 *प्रथम 4 निकायों में बुद्ध के उपदेश वार्तालाप के रूप में दिए गए हैं जबकि खुद्दक निकाय पद्यात्मक है

* जातक कहानियां खुद्दक निकाय का हिस्सा है इसमें बुद्ध के पूर्वजन्म की काल्पनिक कथाएं हैं जातकों की रचना का आरंभ ईसा पूर्व पहली सदी में हुआ जातक ग्रंथ और पद्य दोनों में लिखे गए हैं जातकों की संख्या लगभग 550 है

 *खुद्दक निकाय में कई अन्य ग्रंथ है जैसे खुद्दक पार्ट धम्मपद शुद्ध निपात विमान वधू थेरीगाथा आदि धम्मपद बौद्ध धर्म की गीता कहलाती है

* बिग निकाय पर बुद्ध रोशनी सुमंगल विलासिनी  नामक टीका लिखी

 #विनयपिटक:-   इसमें बौद्ध संघ के नियम आचार विचारों एवं विभिन्न क्षेत्रों का संग्रह है इसके तीन भाग है

 *पातिमोक्ख  इसमें अनुशासन संबंधी विषयों   का संकलन है

 *सुत्तविभंग:-   इसके दो भाग हैं महाविभंग  तथा भिक्खुनी विभंग  इसमें पृतिमोकस्य  के 227 नियमों पर भाषा प्रस्तुत किए गए हैं

 *अभिधम्मपिटक:- यह दार्शनिक सिद्धांतों का संग्रह है इसमें सात ग्रंथ है यह प्रश्न उत्तर क्रम में है

 * धम्म संगणि

* विभंग

 *धातु कथा

* युगल पंचति

*कथावत्तु

* यमक

 *पठान

  *अभिधम्मपिटक तीन पिटको  मैं सबसे बाद में लिखा गया

 *इसमें सबसे महत्वपूर्ण कथावत्तु  है इसकी रचना तृतीय संगीति के समय मोगली पुत्त तिस्स  नेकी

# पाली भाषा के अन्य ग्रंथ

 मिलिंदपन्हो :- नागसेन द्वारा रचित इसमें यमन राजा मिनांडर बौद्ध भिक्षु नागसेन के बीच दार्शनिक वार्तालाप का वर्णन है इसमें 7 सर्ग है

* दीपवंश महावंश यह सिंहली अनुश्रुतियों है इनकी रचना क्रमशः चौथी और पांचवी शताब्दी ईस्वी में हुई इनमें मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी मिलती है



# जैन साहित्य

 *जैन साहित्य को आगम कहा जाता है आगम के अंतर्गत 12 अंक 12 उपांग 10 प्रकरण 66 सूत्र 4 मूल सूत्र अनु योग सूत्र तथा नंदी सूत्र आते हैं कदमों में 12 अंक सबसे महत्वपूर्ण है

* आचारांग सूत्र

* सूयगदंग सुत्त 

* स्थानांग सुत्त 

* समवायंग सुत्त

* भगवती सूत्र

* नायाधम्मकहा सुत्त

* उवासगदसाओ सुत्त

* भगवतीसुत्त  मैं महावीर स्वामी की जीवनी है

*उवासगदसाओ  मैं जैन उपवास को के विधि नियमों का संग्रह है

* नया दम कहासुनी महावीर की शिक्षाओं का वर्णन है

* जैन ग्रंथों की रचना प्राकृत भाषा में हुई


* कालिका पुराण भी जैन धर्म से संबंधित है
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